रक्षा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी
वागशीर पनडुब्बी को नेवल ग्रुप, फ्रांस के सहयोग से मुंबई में मझगांव डॉक्स लिमिटेड (एमडीएल) में पानी में उतारा गया। हाल ही में जिसका उद्घाटन हुआ था फ्रेंच स्कॉर्पीन-श्रेणी की छठी और आखिरी पनडुब्बी वागशीर पोत अब लगभग एक साल के लिए व्यापक और कठोर परीक्षणों और समुद्री परीक्षणों के लिए रवाना होगी।
पहली पनडुब्बी वागशीर को 26 दिसंबर 1974 को भारतीय नौसेना में शामिल किया गया था और 30 अप्रैल 1997 को इसे सेवामुक्त कर दिया गया था।
मुंबई स्थित 'मझगांव डॉक' ने प्रोजेक्ट -75 के तहत भारतीय नौसेना को चार स्कॉर्पीन-श्रेणी की पनडुब्बियां (आईएनएस कलवरी, आईएनएस खंडेरी, आईएनएस करंज और आईएनएस वेला) वितरित की। पांचवीं पनडुब्बी 'वागीर' का समुद्री परीक्षण चल रहा है और इस साल के अंत तक इसे सेवा में शामिल किया जाएगा।
स्कॉर्पीन-श्रेणी की पनडुब्बियां सतह-विरोधी युद्ध, पनडुब्बी-रोधी युद्ध, खुफिया जानकारी एकत्र करना, खदान बिछाने, क्षेत्र की निगरानी आदि जैसे बहु-मिशनों को अंजाम दे सकती हैं।
इस पनडुब्बी के निर्माण के लिए उपयोग की जाने वाली प्रौद्योगिकियां निम्नलिखित हैं - कम विकिरणित शोर स्तर, हाइड्रो-डायनामिक रूप से अनुकूलित आकार, उन्नत ध्वनिक साइलेंसिंग तकनीक और सटीक-निर्देशित हथियारों का उपयोग करके दुश्मन पर एक अचूक हमला करने की क्षमता।